Sahyadri Farms की कहानी: 1 लाख से शुरू होकर 525-₹1,549 करोड़ तक का सफर – पढ़िए विलास शिंदे की मेहनत की पूरी दास्तान
Sahyadri Farms Story:- एक कहावत है – “जहां चाह, वहां राह।” अगर इंसान के दिल में कुछ कर दिखाने की सच्ची चाहत हो, तो रास्ता अपने-आप नजर आने लगता है।
लेकिन रास्ता मिल जाने के बाद भी, हालातों से लड़ते हुए उस रास्ते पर टिके रहना और मंज़िल तक पहुंचना ही असली कामयाबी है।
मंज़िल पाने की इस जंग में जो डटा रहता है, वही असली विजेता कहलाता है। क्योंकि कोई भी सफलता इतनी आसानी से नहीं मिलती।
कामयाबी की राह में ढेरों मुश्किलें आती हैं, लेकिन जो उनसे हार नहीं मानते, वही आख़िरकार सफल होते हैं। अगर इसी सिद्धांत को सामने रखकर देखा जाए, तो विलास शिंदे का उदाहरण बिल्कुल सटीक बैठता है।
विलास शिंदे ने अपने कठिन परिश्रम और परिस्थितियों से लगातार जूझते हुए सह्याद्री फार्म की नींव रखी। उन्होंने केवल अपने लिए नहीं, बल्कि हजारों किसानों के हित में भी काम किया।
कृषि क्षेत्र में गोल्ड मेडलिस्ट और पोस्ट ग्रेजुएट पढ़ाई पूरी करने वाले विलास शिंदे आज किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। असफलताओं से हार न मानकर, उन्होंने बुलंदियों को छू लिया है।
शिंदे जी का सपना था कि किसानों के लिए कुछ ऐसा किया जाए, जिससे उन्हें उनका हक और मेहनत का असली मोल मिले।
इसी सोच के साथ उन्होंने साल 2010 में सिर्फ 1 लाख रुपए की पूंजी और 100 किसानों को साथ लेकर ‘सह्याद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी’ की शुरुआत की।
सह्याद्री फार्म्स एक ऐसा मॉडल है, जिसमें सहकारी संस्था और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का संयोजन है। खास बात ये है कि यह कंपनी पूरी तरह किसानों की ही है।
नासिक के मोहाडी के पास स्थित इस फार्म से करीब 100 किसानों की 25,000 एकड़ जमीन जुड़ी हुई है। यहां से हर दिन करीब 1,000 टन फल और सब्ज़ियां तैयार होकर बाज़ार में पहुंचती हैं।
यही नहीं, सह्याद्री फार्म आज भारत का सबसे बड़ा अंगूर निर्यातक है। आंकड़ों पर नज़र डालें, तो साल 2018-19 में सह्याद्री फार्म्स ने 23,000 मैट्रिक टन अंगूर, 17,000 मैट्रिक टन केले और 700 मैट्रिक टन अनार का निर्यात किया।
विलास शिंदे बताते हैं कि पिछले वित्तीय वर्ष में कंपनी ने 525-₹1,549 करोड़ रुपये की टर्नओवर हासिल की। साथ ही, सह्याद्री फार्म टमाटर के भी देश के सबसे बड़े व्यापारियों में गिना जाता है।
सह्याद्री फार्म्स के किसान क्रिमसन, सोनाका, शरद सिडलेस, थॉमसन, फ्लेम और एआरआरए जैसे कई किस्मों के अंगूर उगाते हैं। फार्म का 60% प्रोडक्शन विदेशों में निर्यात होता है और 40% भारत में ही बेचा जाता है। आज सह्याद्री फार्म्स के उत्पाद अमेरिका, रूस और यूरोप के 42 देशों तक पहुंच चुके हैं।
मोहाडी में 100 एकड़ में बना फलों की प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट, जिसमें करीब 250 करोड़ की लागत आई, भी कंपनी की बड़ी उपलब्धि है।
इस फार्म के ‘फार्मर हब’ के ज़रिए किसानों को खेती में मदद के लिए तकनीकी सपोर्ट और ज़रूरी संसाधन भी मुहैया कराए जाते हैं। सह्याद्री फार्म्स में आज 1,200 से ज़्यादा लोगों को रोजगार मिला है।
इतना ही नहीं, इस पहल से जुड़कर किसान अपने उत्पाद की कीमत बढ़ा पाए हैं। उदाहरण के तौर पर, जहां मंडी में अंगूर का रेट करीब 35 रुपये किलो था, वहीं सह्याद्री फार्म के ज़रिए वही अंगूर किसान औसतन 67 रुपये प्रति किलो बेचने लगे हैं।
विलास शिंदे ने 1998 में राहुरी कृषि विश्वविद्यालय से गोल्ड मेडल के साथ पोस्ट ग्रेजुएट की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद गांव लौटकर खेती में हाथ आजमाया।
अंगूर, तरबूज और मक्का जैसे फसलें उगाईं, जिन्हें स्थानीय बाज़ार में बेचा। लेकिन इनसे महीने में 10,000 रुपये भी कमाना मुश्किल था।
इसके बाद उन्होंने डेयरी कारोबार शुरू करने का फैसला किया और बैंक व साहूकार से कर्ज लेकर 200 गायें खरीदीं। दूध के लिए छोटे स्तर पर पास्चराइजेशन यूनिट लगाया और नासिक शहर में दूध बेचना शुरू किया।
साथ ही, वर्मी कम्पोस्ट (गांडूळ खाद) बनाकर बेचना भी शुरू किया।
लेकिन उम्मीद के मुताबिक मुनाफा नहीं हुआ और कर्ज बढ़कर 75 लाख रुपये हो गया। हार न मानकर 2004 में अपनी कंपनी बनाई और 12 किसानों के साथ मिलकर यूरोप को 72 मैट्रिक टन अंगूर निर्यात किए।
यही से उन्होंने सीखा कि बिचौलियों पर निर्भर न रहकर सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचना ही सही रास्ता है।
अपनी तमाम असफलताओं और मुश्किलों को झेलकर 2010 में उन्होंने 100 किसानों के साथ मिलकर ‘सह्याद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी’ बनाई।
आज यही कंपनी 525-₹1,549 करोड़ रुपये के टर्नओवर तक पहुंच चुकी है और हजारों किसानों के लिए उम्मीद की नई किरण बन गई है।
विलास शिंदे की कहानी बताती है कि अगर मेहनत सच्ची हो और हार मानने का नाम ही न लो, तो एक लाख से भी कमाई शुरू करके करोड़ों तक पहुंचना बिल्कुल नामुमकिन नहीं है।
विलास शिंदे ने 2010 में मात्र ₹1 लाख की शुरुआती पूंजी और 10–12 किसानों के साथ सह्याद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी (SFPCL) की नींव रखी। शुरू में सिर्फ ₹13 करोड़ की वार्षिक टर्नओवर से शुरुआत हुई।
(youragristory.in)
आज सह्याद्री फार्म्स में लगभग 26,000 से अधिक किसानों द्वारा खेती की जा रही है, और कंपनी का नेटवर्क लगभग 31,000 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। ये सब 252 गांवों से जुड़े हैं।
(Threads, LinkedIn)
मुख्य निर्यात फलों में अंगूर शीर्ष पर है (~63.9%), उसके पश्चात केला (~12.8%) और अन्य फल (18.2%) का योगदान
(youragristory.in)
विलास शिंदे की मेहनत, साहस और किसानों के साथ काम करने की दृढ़ सोच ने Sahyadri Farms को एक लाख रुपए में शुरू होकर ₹1,549 करोड़ से ऊपर की सफलता की ऊंचाई तक पहुंचाया है।
यह कहानी न सिर्फ खेती की आधुनिकता की है, बल्कि ये दिखाती है कि एक छोटे से गांव‑से‑भारत के किसानों को सीधे वैश्विक बाज़ार से जोड़कर कैसे सामाजिक और आर्थिक रूप से बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है।
विलास शिंदे ने 2010 में मात्र ₹1 लाख की शुरुआती पूंजी और 10–12 किसानों के साथ सह्याद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी (SFPCL) की नींव रखी। शुरू में सिर्फ ₹13 करोड़ की वार्षिक टर्नओवर से शुरुआत हुई।
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https://agriaffairs.comआज सह्याद्री फार्म्स में लगभग 26,000 से अधिक किसानों द्वारा खेती की जा रही है, और कंपनी का नेटवर्क लगभग 31,000 एकड़ भूमि में फैला हुआ है। ये सब 252 गांवों से जुड़े हैं।
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मुख्य निर्यात फलों में अंगूर शीर्ष पर है (~63.9%), उसके पश्चात केला (~12.8%) और अन्य फल (18.2%) का योगदान
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उत्पादन-प्रक्रिया और रोजगारवित्तीय स्थिरता और विस्तार
विलास शिंदे की मेहनत, साहस और किसानों के साथ काम करने की दृढ़ सोच ने Sahyadri Farms को एक लाख रुपए में शुरू होकर ₹1,549 करोड़ से ऊपर की सफलता की ऊंचाई तक पहुंचाया है।
यह कहानी न सिर्फ खेती की आधुनिकता की है, बल्कि ये दिखाती है कि एक छोटे से गांव‑से‑भारत के किसानों को सीधे वैश्विक बाज़ार से जोड़कर कैसे सामाजिक और आर्थिक रूप से बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है।
यहाँ विलास शिंदे और सह्याद्री फार्म्स के बारे में 10 गहरे और महत्वपूर्ण FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल) दिए गए हैं,
विलास शिंदे कौन हैं और सह्याद्री फार्म्स की शुरुआत कैसे हुई?
विलास शिंदे महाराष्ट्र के नाशिक जिले के एका साधारण शेतकरी कुटुंबातून येतात. त्यांनी 2010 मध्ये शेतकऱ्यांच्या समस्या सोडवण्यासाठी आणि त्यांना जागतिक बाजारात थेट पोहचवण्यासाठी ‘सह्याद्री फार्म्स’ या कृषी उत्पादन कंपनीची स्थापना केली.
यामागे त्यांची दूरदृष्टी होती की शेतकऱ्यांनी मध्यमवर्गीय व्यापार्यांवर अवलंबून राहू नये आणि थेट मार्केटपर्यंत पोहोचावे.
सह्याद्री फार्म्स का मुख्य उद्देश्य क्या है?
सह्याद्री फार्म्स का मुख्य उद्देश्य शेतकऱ्यांना एकत्र करून त्यांना गुणवत्ता सुधारणा, प्रोसेसिंग, पॅकेजिंग व मार्केटिंग मध्ये सक्षम बनवणे आहे.
म्हणजे शेतकरी फक्त उत्पादनच नाही करत, तर त्या उत्पादनाचे मूल्यवर्धन करुन त्यातून जास्त नफा कमावू शकतात.
कितने किसान सह्याद्री फार्म्स से जुड़े हुए हैं?
सह्याद्री फार्म्स आज जवळपास 25,000 पेक्षा अधिक शेतकऱ्यांचे एक मोठे सहकारी समूह (Farmer Producer Company) आहे,
ज्याचा टर्नओवर 500 कोटींहून अधिक आहे. यामध्ये द्राक्षे, टोमॅटो, केळी, भाजीपाला व इतर फळे उत्पादित करणारे शेतकरी आहेत.
सह्याद्री फार्म्स के उत्पाद क्या हैं और कहां बिकते हैं?
सह्याद्री फार्म्स मुख्यतः द्राक्षे, केळी, टोमॅटो प्युरी, सॉस, पल्प, फ्रोजन आणि डिहायड्रेटेड फळे व भाजीपाला, असे विविध प्रकारचे प्रॉडक्ट्स बनवतात.
हे प्रॉडक्ट्स देशांतर्गत मोठ्या सुपरमार्केट्स मध्ये तसेच युरोप, मध्य पूर्व व आशियाई बाजारात निर्यात होतात.
विलास शिंदे ने सह्याद्री फार्म्स की सफलता के लिए कौनसे कदम उठाए?
विलास शिंदे यांनी शेतकऱ्यांना शास्त्रीय पद्धतीने शेती करण्यासाठी प्रशिक्षण दिले, प्रोसेसिंग प्लांट उभारले, कोल्ड स्टोरेज व पॅकेजिंग युनिट सुरु केले आणि सर्वात महत्त्वाचे म्हणजे मार्केटशी थेट जोडले.
त्यांनी तंत्रज्ञानाचा वापर करून ट्रॅकिंग व क्वालिटी कंट्रोलची व्यवस्था तयार केली.
क्या सह्याद्री फार्म्स में केवल द्राक्ष उत्पादक किसान शामिल हैं?
नाही, सह्याद्री फार्म्सच्या प्रारंभात फक्त द्राक्ष उत्पादक होते, परंतु आज या समूहात केळी, टोमॅटो, अननस, पेरू, लिंबू व इतर अनेक फळे व भाजीपाला उत्पादक शेतकरी जोडले गेले आहेत.
सह्याद्री फार्म्स की कमाई का फायदा किसानों को कैसे मिलता है?
सह्याद्री फार्म्स मध्ये नफा शेतकऱ्यांमध्ये वाटला जातो कारण हे शेतकऱ्यांचेच स्वामित्व असलेले ‘Farmer Producer Company’ आहे.
शेतकरी केवळ कच्चा माल विकत नाही, तर प्रक्रिया करून, ब्रँडिंग करून त्या उत्पादनातून मिळालेल्या अतिरिक्त नफ्यातही भागीदार होतात.
क्या छोटे किसान भी इसमें शामिल हो सकते हैं?
हो, सह्याद्री फार्म्स छोटे आणि मध्यम शेतकऱ्यांनाही सामील करून घेते. त्यांना प्रशिक्षित करते, गुणवत्तापूर्ण बियाणे, सेंद्रिय खते आणि बाजाराशी जोडण्यास मदत करते.
सह्याद्री फार्म्स में टेक्नोलॉजी का क्या योगदान है?
सह्याद्री फार्म्स ने क्यूआर कोड, ब्लॉकचेन तंत्रज्ञान, कोल्ड चेन व्यवस्थापन व गुणवत्ता तपासणीसाठी आधुनिक तंत्रज्ञानाचा वापर केला आहे,
ज्यामुळे ग्राहकांना शेतातून थेट उत्पादनाची माहिती मिळते आणि शेतकऱ्यांचा विश्वास वाढतो.
विलास शिंदे का सपना आगे क्या है?
विलास शिंदे यांचे स्वप्न आहे की अजून जास्त शेतकऱ्यांना एकत्र करून भारतातील सर्वात मोठे व जगातील आदर्श शेतकरी संस्था बनवणे.
तसेच शेतकऱ्यांचा उत्पन्न दुप्पट करणे आणि शेतमालाच्या प्रत्येक प्रक्रियेत शेत
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