‘साहब… सरकार ने उन्हें साफ कह दिया है कि ये अब नहीं चलेगा’ — दाऊदी बोहरा समुदाय ने प्रधानमंत्री मोदी को सुनाई भिंडी बाजार में वक्फ घोटाले की दास्तान।

वक्फ संशोधन कानून 2025 के दो अहम प्रावधानों पर सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है।
इसी दिन दाऊदी बोहरा समुदाय के प्रतिनिधियों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दिल्ली में मुलाकात की और इस कानून को लाने के लिए उनका आभार जताया।
समुदाय के सदस्यों ने पीएम मोदी से कहा कि यह उनकी वर्षों पुरानी मांग थी, जो अब पूरी हुई है। उन्होंने प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के विज़न पर पूरा भरोसा जताया।
इस दौरान पीएम मोदी ने भी वक्फ संशोधन कानून को लेकर अपनी सोच और इसके पीछे की प्रक्रिया को साझा किया। उन्होंने कहा कि वे पिछले तीन सालों से इस कानून पर मंथन कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने बताया, “बहुत कम लोग जानते होंगे कि जब मैंने वक्फ एक्ट पर काम करने का विचार किया, तो सबसे पहले मैंने सैयदना साहब (सैयदना मुफद्दल सैफुद्दीन) से सलाह ली।
उन्होंने फिर आपको मेरे पास भेजा। मैंने तीन साल तक आपको परेशान किया, ड्राफ्ट मांगा, सुझाव लिए, हर शब्द, स्टॉफ, कॉमा तक पर चर्चा की। मुझे आपके अनुभव और ज्ञान से बहुत मदद मिली।”
मोदी ने कहा कि वक्फ की मूल भावना क्या है, ये सबसे बेहतर कोई समझ सकता है तो वो सैयदना साहब हैं। उन्होंने आगे कहा कि नए कानून के ज़रिए अब दुनिया देखेगी कि वक्फ के नाम पर पहले क्या हुआ और अब क्या संभव है।
उन्होंने यह भी कहा कि जब गरीब से गरीब व्यक्ति की दुआ मिलती है, तो उसका असर कई गुना बढ़ जाता है। सरकार का उद्देश्य है कि गरीबों को अधिकार और व्यवस्था दी जाए।
वक्फ कानून को लाने का एक बड़ा कारण यह भी था कि इसकी पुरानी व्यवस्था से सबसे ज़्यादा महिलाएं, खासतौर पर विधवाएं, प्रभावित थीं।
इस बैठक में मुस्लिम विधवा महिलाओं के साथ हो रहे अन्याय का ज़िक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनका उद्देश्य है कि उन्हें न्याय मिले।
प्रधानमंत्री ने यह स्पष्ट किया कि यह कानून रातों-रात नहीं बना, बल्कि इसे तैयार करने में लगातार पांच साल की मेहनत लगी है।
इस मुलाकात में बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधि ने कहा कि प्रिवी काउंसिल ने वक्फ कानून अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए बनाया था,
लेकिन पीएम मोदी ने ऐसा कानून लाया है जो ‘अल्पसंख्यकों में भी जो सबसे छोटे अल्पसंख्यक हैं’, उनके लिए भी काम करेगा।
इस दौरान प्रतिनिधि ने भिंडी बाजार में हुए अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने बताया, “2015 में हमने बड़ी मेहनत से एक ज़मीन खरीदी थी। वहां लोग रहते थे, दुकानें थीं और एक छोटा कम्युनिटी हॉल था जहां नमाज पढ़ी जाती थी।
लेकिन 2019 में कोई व्यक्ति अचानक आकर कहता है कि ये ज़मीन वक्फ की है। वो शख्स नासिक या अहमदाबाद से आता है, जिसका इस ज़मीन से कोई लेना-देना नहीं है।”
उन्होंने आगे कहा, “सरकार ने अब इस तरह की मनमानी पर रोक लगा दी है। सरकार ने साफ कह दिया — ‘ये नहीं चलेगा’।
हमें इस कानून में बदलाव की ज़रूरत थी और आपने वो करके दिखाया। इससे गरीब महिलाओं को सबसे ज़्यादा फायदा मिलेगा।”
बोहरा समुदाय के इसी प्रतिनिधि ने पीएम से अपील की कि वे इस कानून से बाहर एक अलग प्रशासनिक व्यवस्था चाहते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कड़े और ज़रूरी कानून लाने के लिए वे प्रधानमंत्री के शुक्रगुज़ार हैं।
गौरतलब है कि दाऊदी बोहरा समुदाय, शिया मुसलमानों का एक समृद्ध लेकिन छोटा समूह है। वक्फ कानून के निर्माण के दौरान इस समुदाय का प्रतिनिधित्व सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने किया था,
जबकि संसदीय संयुक्त समिति की अध्यक्षता भाजपा सांसद जगदंबिका पाल ने की थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत में यह भी कहा कि उन्होंने वक्फ संपत्तियों की वास्तविक स्थिति को जानने के लिए पूरे देश में विस्तृत रिपोर्ट मंगवाई थी।
उन्होंने बताया कि कैसे वक्फ के नाम पर कई जगहों पर अवैध कब्जे और फर्जी दावे किए जा रहे थे।
पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने इस विषय पर कई वरिष्ठ मुस्लिम विद्वानों और कानूनी विशेषज्ञों से सलाह ली।
उन्होंने यह भी बताया कि इस कानून को बनाने में सैकड़ों लोगों की राय ली गई।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का उपयोग समाज के विकास के लिए होना चाहिए, न कि कुछ खास लोगों के फायदे के लिए।
उन्होंने उदाहरण देकर समझाया कि किस तरह कुछ जगहों पर स्कूल और अस्पताल की जगहों को निजी संपत्ति घोषित कर दिया गया था।
दाऊदी बोहरा समुदाय ने बताया कि पहले की व्यवस्था में पारदर्शिता की कमी थी, जिससे कई बार परियोजनाएं अटक जाती थीं।
उन्होंने कहा कि नए कानून से ऐसे झूठे दावे अब नहीं टिक सकेंगे।
समुदाय के एक सदस्य ने कहा कि उनकी कम्युनिटी की कई योजनाएं पुरानी वक्फ व्यवस्था के कारण रुकी पड़ी थीं।
पीएम मोदी ने कहा कि उनका फोकस केवल कानून बनाना नहीं, बल्कि उस पर सही क्रियान्वयन सुनिश्चित करना भी है।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान कहा कि वक्फ एक्ट अब एक सामाजिक न्याय का औजार बन चुका है।
उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि सभी धर्मों के लोग देश के विकास में बराबर भागीदार बनें।
बोहरा समुदाय ने इस कानून को “धार्मिक स्वतंत्रता और पारदर्शिता की दिशा में बड़ा कदम” बताया।
पीएम मोदी ने यह भी कहा कि देश में किसी को भी धार्मिक आस्था के नाम पर डरने की ज़रूरत नहीं है।
उन्होंने भरोसा दिलाया कि सरकार सबकी सुरक्षा, गरिमा और अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
समुदाय ने वक्फ से जुड़ी अदालतों की पारदर्शिता बढ़ाने की भी मांग की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वे इस सुझाव पर गंभीरता से विचार करेंगे।
समुदाय ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ये कानून आने वाले समय में उदाहरण बनेगा।
पीएम मोदी ने बताया कि वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण भी एक बड़ा लक्ष्य है।
उन्होंने कहा कि सभी संपत्तियों का रिकॉर्ड सार्वजनिक रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।
समुदाय ने इसका स्वागत करते हुए कहा कि इससे भ्रांतियां दूर होंगी।
एक सदस्य ने कहा कि ये कानून उन लोगों के लिए चेतावनी है जो वक्फ का दुरुपयोग कर रहे थे।
पीएम मोदी ने कहा कि ऐसे सुधार समाज की भलाई के लिए जरूरी हैं।
उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून में मानवता की भावना को सर्वोपरि रखा गया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार गरीबों, महिलाओं और युवाओं के लिए काम करती है, न कि वोटबैंक के लिए।
बोहरा समुदाय ने कहा कि यह पहली बार है जब किसी सरकार ने उनकी समस्याओं को इतने खुले दिल से सुना है।
उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि इसी तरह की पारदर्शिता अन्य धार्मिक बोर्डों में भी लाई जाए।
प्रधानमंत्री ने समुदाय को भरोसा दिलाया कि देश का संविधान हर नागरिक की रक्षा करता है।
बातचीत के अंत में बोहरा समुदाय ने पीएम मोदी को विशेष स्मृति चिन्ह भेंट किया।
प्रधानमंत्री ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि ऐसे संवाद देश को मजबूत बनाते हैं।