मुर्शिदाबाद हिंसा में बड़ा खुलासा हुआ है — पिछले 3 महीनों से साजिश रची जा रही थी। तुर्किए से फंडिंग हुई, और लोगों में 500-500 रुपए बांटे गए।

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News update नॅशनल law कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल में व्यापक हिंसा देखने को मिली है। मुर्शिदाबाद जिले में भड़की इस हिंसा में अब तक 3 लोगों की मौत हो चुकी है,

जबकि सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। हालात इतने बिगड़ गए कि कई परिवारों को अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करना पड़ा।

बिगड़ते माहौल को देखते हुए केंद्रीय सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है और हिंसा प्रभावित इलाकों में कड़ा सुरक्षा बंदोबस्त किया गया है।

इसी बीच मुर्शिदाबाद दंगों को लेकर एक चौंकाने वाला खुलासा सामने आया है। जांच एजेंसियों के मुताबिक, इस हिंसा की योजना काफी समय से बनाई जा रही थी।

बीते तीन महीनों से स्थानीय स्तर पर इसकी तैयारी चल रही थी और इसके लिए विदेशों से आर्थिक सहायता भी पहुंच रही थी।

विदेशी फंडिंग की भूमिका

सूत्रों के अनुसार, हिंसा की पूरी योजना और उसका खर्च तुर्की से भेजी गई फंडिंग के ज़रिए चलाया जा रहा था।

तुर्की की ओर से भेजे गए पैसे का इस्तेमाल हमलावरों को उकसाने, उन्हें प्रशिक्षण देने और उन्हें हिंसा में शामिल करने के लिए किया गया।

बताया जा रहा है कि हर हमलावर को 500-500 रुपये दिए गए थे, ताकि वे पत्थरबाज़ी और लूटपाट जैसी घटनाओं को अंजाम दे सकें।

इन हमलावरों को पिछले तीन महीनों से लगातार प्रशिक्षित किया जा रहा था। साजिशकर्ताओं का इरादा बंगाल को भी बांग्लादेश की तरह दंगों की आग में झोंकने का था,

जैसा कि हाल ही में बांग्लादेश में हुई हिंसा में देखने को मिला। उसी तर्ज पर यहां भी सुनियोजित तरीके से उपद्रव फैलाने की तैयारी की गई थी।

जांच एजेंसियां अब इस पूरे मामले की गहराई से जांच कर रही हैं और जल्द ही इसमें शामिल सभी साजिशकर्ताओं पर कड़ी कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है।


    मुर्शिदाबाद में राम नवमी की शोभायात्रा के दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी।
कुछ असामाजिक तत्वों ने यात्रा पर पत्थरबाज़ी शुरू कर दी।


हिंसा इतनी तीव्र थी कि दर्जनों गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया गया।
दुकानों और घरों में तोड़फोड़ की गई, जिससे करोड़ों की संपत्ति को नुकसान हुआ।


कई परिवारों को पुलिस सुरक्षा में स्कूलों और सामुदायिक भवनों में शरण लेनी पड़ी।


राज्य सरकार ने प्रभावित क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी है।
इलाके में इंटरनेट सेवा अस्थायी रूप से बंद कर दी गई है, अफवाहें रोकने के लिए।
अब तक 100 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।


एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) को इस केस की जिम्मेदारी सौंपे जाने की मांग हो रही है।


भाजपा ने आरोप लगाया है कि तृणमूल कांग्रेस की मौन सहमति से ये हिंसा फैलाई गई।
टीएमसी ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे विपक्ष की साजिश बताया।


घटनास्थल से विदेशी मुद्रा और संदेहास्पद दस्तावेज भी बरामद हुए हैं।
जांच एजेंसियों ने कुछ सोशल मीडिया अकाउंट्स को ट्रैक किया है, जिनसे भड़काऊ पोस्ट किए गए थे।


सुरक्षा बलों ने इलाके में फ्लैग मार्च किया और जनता से शांति बनाए रखने की अपील की।
स्थानीय प्रशासन ने राहत शिविरों में खाने-पीने और दवाओं की व्यवस्था की है।


केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
हमले में घायल पुलिसकर्मियों का इलाज कोलकाता भेजकर कराया जा रहा है।


हिंसा में घायल कुछ आम नागरिकों की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है।
तुर्की से जुड़े संदिग्ध बैंक ट्रांजैक्शन की जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है।


बंगाल पुलिस की साइबर सेल भी अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क को ट्रेस कर रही है।


पथराव और आगजनी के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं।
स्थानीय लोगों ने बताया कि हमलावर बाहरी थे और उन्हें पहले कभी नहीं देखा गया।


हिंसा के पीछे पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से जुड़े तत्वों की भूमिका की भी जांच हो रही है।
स्कूलों और कॉलेजों को अगले आदेश तक बंद कर दिया गया है।


बच्चों और महिलाओं में अब भी भय का माहौल बना हुआ है।
क्षेत्रीय मीडिया को कवर करने में भी सुरक्षा बलों की निगरानी में भेजा गया।


विपक्षी दलों ने इस हिंसा को लोकतंत्र पर हमला बताया है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शांति की अपील करते हुए जांच का आश्वासन दिया है।


राष्ट्रपति ने भी इस घटना पर चिंता जताई और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।


पूरे राज्य में अलर्ट जारी कर दिया गया है, और संवेदनशील इलाकों में पुलिस गश्त बढ़ा दी गई है।



  

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