
जील के जाओ पेसोआ शहर में स्थित प्रसिद्ध पार्के ज़ू-बोटानिको अर्रूडा कामारा, जिसे स्थानीय लोग बिका के नाम से जानते हैं. वहां से एक दर्दनाक हादसा लोगों के बीच सामने आया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यहां एक 19 साल का लड़का अपनी गलती के कारण अपनी जान से हाथ धो बैठा.
इसे देखने के बाद वहां मौजूद सभी लोग दहशत में आ गए. कुछ ही पलों में सामान्य सा लगने वाला दिन अफरातफरी में पूरी तरीके से बदल गया.
वहां मौजूद लोगों के मुताबिक ये दुर्घटना तब घटी जब युवक किसी तरह सुरक्षा घेरा पार करके सीधे शेरों के प्रतिबंधित क्षेत्र में पहुंच गया. अभी तक इस बात का पता नहीं लग पाया है कि उसने ऐसा कदम क्यों उठाया, लेकिन जैसे ही लोगों ने उसे बाड़े के अंदर देखा, वे घबरा कर मदद के लिए चिल्लाने लगे. कई वीडियो, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से फैल चुके हैं, दिखाते हैं कि युवक बाड़े के भीतर एक पेड़ के तने पर चढ़ने की कोशिश कर रहा था ताकि खुद को शेरनी से दूर रख सके. उसके चेहरे पर डर साफ झलक रहा था.
कैसे हुआ ये सब
कुछ ही देर बाद उसकी पकड़ ढीली पड़ गई और वह नीचे फिसलकर जमीन पर आ गिरा, ठीक उसी जगह जहां शेरनी मौजूद थी. अब जैसे ही जंगल की रानी को मौका मिलता है, वो उस पर तुरंत हमला कर देती है. ये सब इतनी तेजी से हुआ कि बंदे को कुछ करने का समय ही नहीं मिल पाता है. जब तक ज़ू के कर्मचारी और सुरक्षा दल मौके पर पहुंचे, तब तक युवक को गंभीर चोटें आ चुकी थीं, हालांकि इस दौरान उसको बचाने की कोशिश भी गई लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका और उसकी मौत की पुष्टि कर दी गई.
हादसे के तुरंत बाद ज़ू प्रशासन ने एहतियात के तौर पर सभी के लिए जू बंद कर दिया. अधिकारियों ने अपने बयान में कहा कि ज़ू में सुरक्षा के लिए स्थापित तकनीकी मानकों का पालन किया जाता है, लेकिन फिर भी यह समझने के लिए अच्छे से जांच शुरू कर दी गई है कि आखिर सुरक्षा में चूक कहाँ हुई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या बदलाव जरूरी होंगे.वीडियो सामने आने के बाद इंटरनेट पर सामने आने के बाद लोगों में तीखी बहस छिड़ गई है. कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर युवक ने वह खतरनाक क्षेत्र क्यों और कैसे पार किया. कुछ का मानना है कि बाड़े के पास अतिरिक्त निगरानी या मजबूत अवरोधक होने चाहिए थे, जबकि अन्य इस बात पर जोर दे रहे हैं कि किसी व्यक्ति के जानबूझकर जोखिम उठाने की स्थिति में भीड़ या सुरक्षा कर्मियों के लिए तुरंत हस्तक्षेप करना कितना मुश्किल होता है.
जाओ पेसोआ शहर के निवासी इस हादसे से गहरे सदमे में हैं, क्योंकि ऐसी घटनाएँ बेहद दुर्लभ होती हैं। शेरों से जुड़े हमले आमतौर पर तभी होते हैं जब कोई जानवर खतरा महसूस करता है या व्यक्ति उसके बहुत नजदीक पहुँच जाए। ज़ू स्टाफ का कहना है कि शेरनी रोज़ाना की तरह शांत थी और उसने उतना ही प्रतिक्रिया दी जितनी किसी भी वन्यजीव से संकट की स्थिति में उम्मीद की जाती है।