Categories: विदेश

भारत को उपदेशकों की नहीं, भागीदारों की तलाश है.एस जयशंकर,

Zee Business

The Deplomate विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने शनिवार को नई दिल्ली में आयोजित आर्कटिक सर्कल इंडिया फोरम में भारत की विदेश नीति को लेकर स्पष्ट और दृढ़ रुख अपनाया।

आइसलैंड के पूर्व राष्ट्रपति ओलाफुर राग्नार ग्रिम्सन और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष समीर सरन के साथ बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भारत को उपदेशकों की नहीं, बल्कि सच्चे भागीदारों की जरूरत है।

उन्होंने कहा, “जब हम दुनिया की ओर देखते हैं, तो हमें ऐसे लोग नहीं चाहिए जो हमें उपदेश दें – खासकर वे, जो अपने देश में जिन सिद्धांतों का पालन नहीं करते, वही बातें हमें सिखाने की कोशिश करते हैं

” जयशंकर ने यह भी संकेत दिया कि यूरोप के कुछ हिस्सों में अब भी “दोहरे मापदंडों” की मानसिकता देखी जाती है, हालांकि इसमें बदलाव की शुरुआत भी हो चुकी है।



वैश्विक साझेदारी को लेकर स्पष्ट संदेश

एस जयशंकर


विदेश मंत्री की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब रूस-यूक्रेन युद्ध, ईंधन संकट और सीमा पार आतंकवाद जैसे ज्वलंत वैश्विक मुद्दों पर भारत का आत्मनिर्भर और संतुलित रुख अंतरराष्ट्रीय मंच पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है।

जयशंकर ने कहा, “अगर हमें सच्ची साझेदारी बनानी है तो संवेदनशीलता, हितों की पारस्परिक समझ और वैश्विक प्रक्रियाओं की जानकारी आवश्यक है।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यूरोप आज इन मोर्चों पर एक सच्चाई की परीक्षा से गुजर रहा है।



पश्चिमी आलोचनाओं पर करारा जवाब


डॉ. जयशंकर ने यह भी स्पष्ट किया कि यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने पश्चिमी देशों की आलोचनाओं का मजबूती से जवाब दिया है।

2022 में जब भारत ने रूस से तेल आयात किया और उसकी आलोचना हुई, तब भी उन्होंने भारत की ऊर्जा सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए जवाब दिया था।

उन्होंने कहा था, “अगर यूरोप को अपनी ऊर्जा जरूरतों के आधार पर निर्णय लेने का अधिकार है, तो भारत से अलग मापदंड रखना उचित नहीं है।”

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हवाले से कहा, “प्रधानमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि हमें ऐसा रुख अपनाना है जिससे भारत को लाभ हो – और हमने वही किया।

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत को उपदेशकों की नहीं, सच्चे भागीदारों की जरूरत है।

उन्होंने दोहरे मापदंड अपनाने वाले देशों पर निशाना साधा और कहा कि जो खुद उस पर अमल नहीं करते, वे भारत को उपदेश न दें।

वैश्विक साझेदारी के लिए संवेदनशीलता और पारस्परिक हितों की समझ जरूरी है।

उन्होंने कहा कि यूरोप अब वास्तविकता की परीक्षा से गुजर रहा है।

भारत अपनी विदेश नीति में आत्मनिर्भर और राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने वाला रुख अपनाता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत बाहरी दबाव में आकर अपने हितों से समझौता नहीं करेगा।


” जयशंकर ने यह भी दोहराया कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों से कभी समझौता नहीं करेगा, चाहे कोई भी बाहरी दबाव क्यों न हो

admin

Share
Published by
admin

Recent Posts

LIC, बँक की पोस्ट ऑफिस – कुठे कराल गुंतवणूक आणि जास्त परतावा मिळेल?

Source Google imeage LIC, बँक की पोस्ट ऑफिस – कुठे कराल गुंतवणूक आणि जास्त परतावा…

1 week ago

VIDEO: PM मोदी, पुतिन और जिनपिंग की जबरदस्त केमिस्ट्री, वीडियो में देखें ताकतवर नेताओं का दोस्ताना अंदाज

Source Google imeage मोदी चीन दौरा : तियानजिन में एससीओ शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी…

2 weeks ago

SCO समिट बीच में छोड़कर क्यों निकले अजित डोभाल? पाकिस्तान की इस हरकत से मचा था बवाल

Google imeage नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन (SCO) शिखर सम्मेलन में…

2 weeks ago

Pratibha Setu: क्या है UPSC का ‘प्रतिभा सेतु’ पोर्टल? अभ्यर्थियों को कैसे देगा सेकंड चांस? आसान भाषा में समझिए

‘प्रतिभा सेतु’ पोर्टल : UPSC उमेदवारांसाठी नवी संधीभारतातील UPSC (Union Public Service Commission) ची सिव्हिल…

2 weeks ago