कोविड-19 से नहीं हुए संक्रमित, फिर भी महामारी ने तेज कर दी दिमाग की उम्र बढ़ने की रफ्तार – जानें कैसे और क्या करें बचाव
नई दिल्ली।
अगर आपको कभी कोविड-19 नहीं हुआ, तब भी हो सकता है कि इस महामारी ने आपके मस्तिष्क पर असर डाला हो।
चर पत्रिका में प्रकाशित एक हालिया अध्ययन के मुताबिक, कोविड संक्रमण न होने के बावजूद महामारी के अनुभवों—जैसे कि लॉकडाउन, अकेलापन, तनाव, दिनचर्या में बदलाव और अनिश्चितता—ने लोगों के दिमाग को तेजी से उम्रदराज बना दिया है।
क्या कहता है अध्ययन?
शोधकर्ताओं ने यूके बायोबैंक (UK Biobank) से मिले हजारों लोगों के ब्रेन स्कैन का विश्लेषण किया और पाया कि कोविड महामारी के दौरान लोगों के दिमाग औसतन 5.5 महीने ज्यादा तेजी से बूढ़े हो गए।
इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों, पुरुषों, कमजोर स्वास्थ्य वाले, कम शिक्षा और कम आय वाले वर्गों में देखा गया। इन स्कैन की तुलना महामारी से पहले के स्कैन से की गई थी।
डॉ. एमवी पद्मा श्रीवास्तव, चेयरपर्सन, न्यूरोलॉजी विभाग, पारस हेल्थ, गुरुग्राम का कहना है कि,
“यह अध्ययन बताता है कि केवल वायरस नहीं, बल्कि सामाजिक तनाव और अलगाव जैसे कारकों का भी मस्तिष्क पर गहरा असर पड़ा है। इसलिए दीर्घकालिक संज्ञानात्मक स्वास्थ्य के लिए दिमाग की देखभाल बेहद जरूरी है।”
इसका मतलब क्या है?
इसका मतलब है कि महामारी का असर केवल शरीर पर नहीं, बल्कि दिमाग पर भी हुआ है। संक्रमण न होने के बावजूद, लंबे समय तक तनाव में रहना, सामाजिक दूरी, रोजमर्रा की आदतों में बदलाव और भविष्य की अनिश्चितता जैसे अनुभवों ने मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाया है।
क्या इससे कोई स्थायी नुकसान होता है?
अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि यह प्रभाव स्थायी है या नहीं। लेकिन अच्छी बात यह है कि विशेषज्ञ मानते हैं कि स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर दिमाग की सेहत को दोबारा बेहतर किया जा सकता है।
मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के तरीके
तनाव प्रबंधन करें: ध्यान, योग और श्वास तकनीकों से तनाव को कम करें।
नियमित व्यायाम करें: ब्रिस्क वॉक, योग या हल्की कार्डियो से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है।
अच्छी नींद लें: हर रात 7-8 घंटे की नींद जरूरी है।
दिमागी कसरत करें: किताबें पढ़ें, नई चीजें सीखें, पहेलियां हल करें या कोई नया कौशल अपनाएं।
संतुलित आहार लें: ओमेगा-3, विटामिन, मिनरल्स और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर डाइट मस्तिष्क को ऊर्जा देती है।
सामाजिक रूप से जुड़े रहें: दोस्तों और परिवार से बातचीत करते रहें। अकेलापन मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
दिनभर में छोटे ब्रेक लें: लंबे समय तक एक ही काम में दिमाग को थकने से बचाएं।
कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया। भले ही संक्रमण से बचे रहे हों, लेकिन मानसिक और भावनात्मक असर से शायद ही कोई बच पाया हो।
इस अध्ययन से हमें सीख मिलती है कि दिमाग की सेहत की अनदेखी नहीं की जा सकती और इसे मजबूत बनाने के लिए हमें रोज़मर्रा की आदतों पर ध्यान देना होगा।
दिमाग को जवान बनाए रखने के लिए आज से ही शुरुआत करें।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
क्या कोविड-19 संक्रमण के बिना भी दिमाग पर असर हो सकता है?
हाँ, अध्ययन के अनुसार महामारी के तनाव और सामाजिक अलगाव ने भी मस्तिष्क की उम्र बढ़ा दी है।
क्या ये बदलाव स्थायी हैं?
नहीं, अभी तक स्थायी होने के पुख्ता सबूत नहीं हैं। सही जीवनशैली से रिकवरी संभव है।
क्या युवाओं पर भी इसका असर पड़ा है?
हाँ, लेकिन सबसे ज्यादा असर बुजुर्गों, पुरुषों और कमजोर स्वास्थ्य वाले लोगों पर देखा गया है।
क्या दिमाग की उम्र बढ़ने का मतलब है कि याददाश्त कमजोर हो जाएगी?
जरूरी नहीं, लेकिन संज्ञानात्मक कार्यों में थोड़ी गिरावट देखी जा सकती है।
क्या इस असर से बचा जा सकता था?
शायद नहीं, क्योंकि यह महामारी से जुड़ा मानसिक प्रभाव था, लेकिन लचीलापन और आत्म-देखभाल से इसका असर कम हो सकता है।
क्या दिमाग को फिर से स्वस्थ बनाया जा सकता है?
हाँ, व्यायाम, अच्छी नींद, पौष्टिक आहार और दिमागी व्यस्तता से मस्तिष्क की सेहत सुधारी जा सकती है।
क्या महामारी के अनुभवों से मस्तिष्क पर भविष्य में भी असर हो सकता है?
संभव है, लेकिन समय रहते ध्यान दिया जाए तो दीर्घकालिक प्रभाव से बचा जा सकता है।
क्या यह सभी के लिए चिंता की बात है?
नहीं, लेकिन जागरूक रहना और मस्तिष्क की देखभाल करना सभी के लिए जरूरी है।
क्या मानसिक स्वास्थ्य पर भी उतना ही ध्यान देना चाहिए जितना शारीरिक पर?
हाँ, दोनों एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और बराबर जरूरी हैं।
क्या इस विषय पर और रिसर्च हो रही है?
हाँ, वैज्ञानिक लगातार मस्तिष्क और मानसिक स्वास्थ्य पर कोविड-19 के प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं।
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